अंतिम परिणति
सम्बंध शुरु होते हैं उत्साह के साथ पर समय के साथ नीरस होते जाते हैं ।
पढ़ाई में भी यही स्थिति, अन्य कामों में भी ।
यदि Final Exam को ध्यान में/Goal बनाकर पढ़ाई शुरु/आगे भी की जाय तो उत्साह बना रहता है ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
सम्बंध शुरु होते हैं उत्साह के साथ पर समय के साथ नीरस होते जाते हैं ।
पढ़ाई में भी यही स्थिति, अन्य कामों में भी ।
यदि Final Exam को ध्यान में/Goal बनाकर पढ़ाई शुरु/आगे भी की जाय तो उत्साह बना रहता है ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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परिणति का मतलब परिणाम होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जीवन में सम्बंध शुरू होते हैं उत्साह के साथ लेकिन समयानुसार नीरस हो जाते हैं। अतः जीवन में उत्साह रखने के लिए जैसे परीक्षा में ध्यान रखा जाता है,उसी प्रकार जीवन में कोई भी लक्ष्य हो तो उत्साह के साथ संकल्प लेकर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए ताकि जीवन मे नीरसता नहीं होगी।