अचेतन संगीतादि को सीखना चेतन मन/दिमाग से होता है ।
अभ्यास हो जाने पर अचेतन मन सक्रिय हो जाता है, तभी सुंदर-सुंदर स्वर लहरी निकलती है, जो आत्मसात हो जातीं हैं ।
चेतन व्यवहार है, अचेतन निश्चय ।
चिंतन
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2 Responses
चेतना का मतलब अनुभव रुप या जिस शक्ति के द्वारा आत्मा ज्ञाता द्वष्टा या कर्ता भोक्ता होता है।
अतः उक्त कथन सत्य है कि अचेतन संगीतादि को सीखना चेतन मन या दिमाग से होता है। अभ्यास होने पर अचेतन मन सक्रिय हो जाता है,तभी सुंदर सुंदर स्वर लहरी निकलती है,जो आत्म सात हो जातीं हैं। अतः चेतन व्यवहार है और अचेतन निश्चय होता है।
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चेतना का मतलब अनुभव रुप या जिस शक्ति के द्वारा आत्मा ज्ञाता द्वष्टा या कर्ता भोक्ता होता है।
अतः उक्त कथन सत्य है कि अचेतन संगीतादि को सीखना चेतन मन या दिमाग से होता है। अभ्यास होने पर अचेतन मन सक्रिय हो जाता है,तभी सुंदर सुंदर स्वर लहरी निकलती है,जो आत्म सात हो जातीं हैं। अतः चेतन व्यवहार है और अचेतन निश्चय होता है।
Okay.