अपशगुन से डरना क्यों ?
जब चार मंगल….अरहंत, सिद्ध, साधु और धर्म पर तुम्हें विश्वास है, तो अमंगल कैसे होगा ?
चारों श्रेष्ठ हैं, इसलिये डर नहीं, चार की ही शरण लेने और वे देने योग्य हैं, तो मृत्यु भी क्या बिगाड़ सकती है !
मुनि श्री सुधासागर जी
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अपशगुन का तात्पर्य मंगल महसूस नहीं करना होता है। अतः मुनि महाराज श्री सुधासागर जी कथन सत्य है कि अपशगुन से डरना नहीं चाहिए, क्योंकि जब अपने पास चार मंगल, अर्हन्त, सिद्ध, साधु और धर्म होते हैं, तब कभी अमंगल नहीं हो सकता है। लेकिन जीवन में इन पर विश्वास होना चाहिए एवं इनकी शरण लेना चाहिए ताकि आपको मृत्यु से भी डर नहीं लग सकता है।
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अपशगुन का तात्पर्य मंगल महसूस नहीं करना होता है। अतः मुनि महाराज श्री सुधासागर जी कथन सत्य है कि अपशगुन से डरना नहीं चाहिए, क्योंकि जब अपने पास चार मंगल, अर्हन्त, सिद्ध, साधु और धर्म होते हैं, तब कभी अमंगल नहीं हो सकता है। लेकिन जीवन में इन पर विश्वास होना चाहिए एवं इनकी शरण लेना चाहिए ताकि आपको मृत्यु से भी डर नहीं लग सकता है।