अशुभ से शुभ
उपयोग दो प्रकार का –
1. शुद्ध
2. अशुद्ध
अशुद्ध उपयोग दो प्रकार का –
A. शुभ – सच्चे देव/शास्त्र/गुरु में राग
B. अशुभ – विषय/इंद्रिय भोगों में राग, व्यवहार में मोह, द्वेष, राग – दोनों प्रकार का (शुभ/अशुभ) ।
हम दिन रात यही तीन(मोह, राग, द्वेष ) तो करते रहते हैं ।
धर्म की शुरुआत कैसे करें ?
अशुभ राग से शुभ राग की ओर चलने लगें ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
One Response
उक्त कथन सत्य है कि उपयोग दो प्रकार के होते हैं,शुद्व और अशुद्ध। अशुद्ध उपयोग भी दो तरह का होता है जैसे शुभ सच्चे देव शास्त्र और गुरु में राग रहता है। जबकि अशुभ में विषय और इंन्दिय भोगों में राग, व्यवहार में मोह राग द्वेष यानी दोनों प़कार का शुभ और अशुभ होता है।हम लोग दिन रात यहीं तीनों मोह राग देष तो करते रहते हैं। लेकिन अशुभ राग से शुभ राग में चलने के लिए धर्म का आश्रय लेना अनिवार्य है।