“एलाचार्य” कुंदकुंद आचार्य की विदेह जाने वाली किवदंती से जुड़ा था ।
आगम में “बालाचार्य” नाम आता है, जिसे आचार्य पद का उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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आचार्य वो जो स्वयं साधु के योग्य आचरण करते हैं और अन्य साधुऔ से भी यथायोग्य आचरण कराते हैं।अनेक विशिष्ट गुणो से युक्त संघ नायक साधु को आचार्य कहते हैं।अतः इससे स्पष्ट है कि आगम के अनुसार कुंदकुंद स्वामी प़थम साधु है जिनके द्वारा अन्य साधुऔ को आचरण कराना सिखाया था ।
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आचार्य वो जो स्वयं साधु के योग्य आचरण करते हैं और अन्य साधुऔ से भी यथायोग्य आचरण कराते हैं।अनेक विशिष्ट गुणो से युक्त संघ नायक साधु को आचार्य कहते हैं।अतः इससे स्पष्ट है कि आगम के अनुसार कुंदकुंद स्वामी प़थम साधु है जिनके द्वारा अन्य साधुऔ को आचरण कराना सिखाया था ।