मैं “कल” को,
तलाशता रहा दिनभर..
और शाम होते-होते,
मेरा “आज” डूब गया…!
(अरविंद)
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यह कथन बिलकुल सत्य है।
आजकल इन्सान कल के इन्तजार में रहते हैं जब की उसका इन्तजार नहीं करना चाहिए। अतीत के विषय में भी सोचना नहीं चाहिए बल्कि उससे प्रेरणा लेकर आज ही करना उचित होगा। जो भी निणॅय लेना है उसे आज ही लेकर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।
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यह कथन बिलकुल सत्य है।
आजकल इन्सान कल के इन्तजार में रहते हैं जब की उसका इन्तजार नहीं करना चाहिए। अतीत के विषय में भी सोचना नहीं चाहिए बल्कि उससे प्रेरणा लेकर आज ही करना उचित होगा। जो भी निणॅय लेना है उसे आज ही लेकर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।