आज्ञा

आज्ञा-विचय यदाकदा,
आज्ञा-सम्यग्दर्शन लगातार, जब तक सम्यग्दर्शन रहता है, तब तक ।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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4 Responses

  1. आज्ञा विचय–जिनेन्द़ भगवान् द्वारा प़तिपादित आगम ही सत्य है,ऐसा चिंतन करना अथवा जिनवाणी को प्रमाण मानक विचार करना आज्ञा विचय नाम का धर्म ध्यान है। आज्ञा सम्यग्दर्शन–जिनेन्द़ भगवान् की आज्ञा को प्रधान मानकर जो सम्यग्दर्शन है, उसे ही सम्यग्दर्शन कहते हैं। अतः आज्ञा की विषय में जो उल्लेख किया है वह कथन सत्य है।

    1. यह सही है कि आज्ञा-सम्यग्दर्शन आज्ञा-विचय से ही initiate होगा, पर एक बार सम्यग्दर्शन हो जाने पर आज्ञा पर चिंतन लगातार करना जरूरी नहीं, जबकि आज्ञा-सम्यग्दर्शन लगातार रह सकता है ।

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