बारूद को देखना भी अशुभ/ अपशगुन है ।
इसीलिए भारतीय-संकृति में स्वागत पुष्पवृष्टि से होता था,
बंदूक/ तोप चलाकर नहीं (यह तो पाश्चात्य सभ्यता है)
मुनि श्री सुधा सागर जी
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यह कथन सत्य है कि आतिशबाज़ी को देखना भी अशुभ ओर अपशगुन माना गया है। आतिशबाज़ी से हिंसा होती है अतः जैन धर्म के अनुसार इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
यह संस्कृति पाश्चात है। भारतीय संस्कृति में स्वागत फूलों से किया जाता है। अतः महावीर भगवान् के निर्वाण दिवस पर आतिशबाजी का निषेध करना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता है।
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यह कथन सत्य है कि आतिशबाज़ी को देखना भी अशुभ ओर अपशगुन माना गया है। आतिशबाज़ी से हिंसा होती है अतः जैन धर्म के अनुसार इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
यह संस्कृति पाश्चात है। भारतीय संस्कृति में स्वागत फूलों से किया जाता है। अतः महावीर भगवान् के निर्वाण दिवस पर आतिशबाजी का निषेध करना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता है।