खुशी में हंसते हुये आँखें बंद हो जाती हैं, दु:ख/भय में और खुल जाती हैं ।
सही तो है – जब बाहर से दृष्टि अंदर की ओर जायेगी तभी तो आनंद आयेगा ।
चिंतन
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आत्म-सुख की प़ाप्ति के लिए अपनी आत्मा की पहिचान आवश्यक है।जब आत्मा की पहिचान होगी तब ही अपनी दृष्टि बाहर की जगह अन्दर होगी तभी जीवन का आनन्द मिल सकता है। जो लोग बाहर की द्रष्टि से देखते हैं वह कभी आनन्द प़ाप्त नहीं कर सकते हैं।
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आत्म-सुख की प़ाप्ति के लिए अपनी आत्मा की पहिचान आवश्यक है।जब आत्मा की पहिचान होगी तब ही अपनी दृष्टि बाहर की जगह अन्दर होगी तभी जीवन का आनन्द मिल सकता है। जो लोग बाहर की द्रष्टि से देखते हैं वह कभी आनन्द प़ाप्त नहीं कर सकते हैं।