इबादत

कितने मसरूफ़ हैं हम ज़िंदगी की कशमकश में !

“इबादत” भी जल्दी में करते हैं,
फिर से
गुनाह करने के लिए।

(धर्मेंद्र)

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4 Responses

  1. उपरोक्त कथन बिलकुल सत्य है… आजकल, इबादत भी जल्दी में करते हैं, फिर गुनाह करने के लिए, जबकि इबादत गुनाह मिटाने के लिए, की जाती है ।

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