क्रियाओं से ज्यादा महत्वपूर्ण है – क्रियाओं के बीच का अंतराल !
उसमें आप पाप के लिये पश्चाताप करते हैं या खुश होते हैं ।
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4 Responses
क़ियायें साधन हैं, लेकिन इसके बीच मन में पवित्रता और संयम होना चाहिए। क़ियायों में खुश होने वाली बात नहीं है बल्कि अपने पाप के लिए पश्चाताप करना होता है। यह तभी संभव है जब धम॓ से जुडने का प्रयास करेंगे।
क्रिया तो थोड़ी देर की होती है, अंतराल लम्बे अरसे का होता है ।
क्रिया करने के बाद भाव कैसे रखते हैं, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है न !
जैसे दान देने के बाद भाव…
और करना चाहिए था
या
ज्यादा हो गया
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क़ियायें साधन हैं, लेकिन इसके बीच मन में पवित्रता और संयम होना चाहिए। क़ियायों में खुश होने वाली बात नहीं है बल्कि अपने पाप के लिए पश्चाताप करना होता है। यह तभी संभव है जब धम॓ से जुडने का प्रयास करेंगे।
Can its meaning be explained please?
क्रिया तो थोड़ी देर की होती है, अंतराल लम्बे अरसे का होता है ।
क्रिया करने के बाद भाव कैसे रखते हैं, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है न !
जैसे दान देने के बाद भाव…
और करना चाहिए था
या
ज्यादा हो गया
Okay.