गुरु प्रमाणिक, पर उनकी वाणी नहीं,
इसीलिये प्रवचन के बाद वंदना की जाती है, जिनवाणी की ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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4 Responses
गुरुओं की वाणी जिनवाणी की होती है।जिनवाणी में भगवान के दिये हुए उपदेश होते हैं।गुरु द्धारा भगवान् के उपदेश और सन्देश दिये जाते हैं, जो प़वचन के माध्यम से मिलते हैं।
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गुरुओं की वाणी जिनवाणी की होती है।जिनवाणी में भगवान के दिये हुए उपदेश होते हैं।गुरु द्धारा भगवान् के उपदेश और सन्देश दिये जाते हैं, जो प़वचन के माध्यम से मिलते हैं।
Can its meaning be explained please?
गुरु का दिगम्बर रूप, वीतराग-भगवान का, सो प्रामाणिक यानि गुरु प्रामाणिक,
पर ज्ञान क्षयोपशमिक, वाणी में त्रुटि हो सकती है, सो प्रामाणिक नहीं ।
Okay.