जीवन

गोपालदास नीरज जी की एक रचना……

छिप-छिप अश्रु बहाने वालों!
मोती व्यर्थ लुटाने वालों!
कुछ सपनों के मर जाने से
जीवन नहीं मरा करता है।

खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर,
केवल जिल्द बदलती पोथी।
चंद खिलौनों के खोने से
बचपन नहीं मरा करता है।

लूट लिया माली ने उपवन,
लुटी न लेकिन गंध फूल की,
कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से
दर्पण नहीं मरा करता है।।

कुछ स्वप्नों के मर जाने से
जीवन नहीं मरा करता है….

(अरुणा)

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One Response

  1. This is a very optimistic and positive approach for dealing with life’s problems. Very well-said Aunty!!!!

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