जीवन रूपी रथ के…
घोड़े – कर्म हैं,
पहिये – कर्मफल (धीरे/ तेज/ कीचड़ में धसना),
विवेक – सारथी (घोड़ों को optimum दौड़ाना पर थकाना नहीं; रथ को कीचड़ में न जाने देना ।
सुपथ पर चलोगे तो जीवन सरल, कुपथ पर हिचकोले लेगा ।
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One Response
जीवन रथ को चलाने में पहिये कर्म फल होते हैं एवं सारथी यानी विवेक ।
अतः उक्त कथन सत्य है कि वह जीवन सुपथ पर चलेगा तो सरल होगा, यदि कुपथ पर चलेगा तो जीवन हिचकोले लेता रहेगा।
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जीवन रथ को चलाने में पहिये कर्म फल होते हैं एवं सारथी यानी विवेक ।
अतः उक्त कथन सत्य है कि वह जीवन सुपथ पर चलेगा तो सरल होगा, यदि कुपथ पर चलेगा तो जीवन हिचकोले लेता रहेगा।