ज्ञान
हे ! दीमको, शास्त्रों को खा-खा कर अपने नाम/दाम की भूख मत मिटाओ, संस्कार/संस्कृति बनाने में ज्ञान का उपयोग/प्रभावना करो ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
हे ! दीमको, शास्त्रों को खा-खा कर अपने नाम/दाम की भूख मत मिटाओ, संस्कार/संस्कृति बनाने में ज्ञान का उपयोग/प्रभावना करो ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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ज्ञान कई प्रकार के होते हैं, सामान्य,किताबी ज्ञान, आध्यात्मिक ज्ञान आदि।जब तक धर्म से जुड़कर ज्ञान प्राप्त करने पर ही संस्कृति एवं संस्कार प्राप्त हो सकता है। आजकल लोग दीमक की तरह धर्म ज्ञान को छोड़कर अन्य ज्ञान प्राप्त करने से समय बर्बाद करते हैं, अतः जीवन में धर्म से जुड़कर संस्कृति एवं संस्कार, सभ्यता आदि प्राप्त करने में समर्थ हो सकते हैं, ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।