दर्शन मोहनीय/मिथ्यात्व बंध के कारण

अरिहंत, सिद्ध, उनके चैत्य ( प्रतिमा ) , गुरू ( जो सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान या सम्यग्चारित्र में हमसे श्रेष्ठ हों ), श्रुत, धर्म, संघ का अवर्णवाद करने से ।

इन कारणों से तीव्र अनुभाग का बंध होता है ।

कर्मकांड़ गाथा : – 802

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