दान
धन और समय का ही दान नहीं होता बल्कि पांचों इन्द्रिय के विषयों का भी होता है,
जैसे 1 घंटे को सिर्फ भगवान को ही देखूंगा ।
मुनि श्री सुधासागर जी
धन और समय का ही दान नहीं होता बल्कि पांचों इन्द्रिय के विषयों का भी होता है,
जैसे 1 घंटे को सिर्फ भगवान को ही देखूंगा ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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दान का मतलब परोपकार की भावना से अपनी वस्तु का अर्पण करना होता है। यह चार प्रकार के होते हैं आहार दान, औषधि दान, उपकरण , ज्ञान दान और अभय दान। अतः मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने सत्य कहा है कि धन और समय का ही दान नहीं होता बल्कि पांचों इन्दिय के विषय का भी होता है, जैसे भगवान् को एक घंटे तक देखूंगा।