द्रव्य पूजा से द्रव्य/संसार बढ़ता है,
भाव पूजा से भाव/परमार्थ ।
इसीलिये मुनि भावपूजा और गृहस्थ भाव सहित द्रव्य पूजा करते हैं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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यह कथन सत्य है कि द़व्य पूजा से द़व्य/संसार बढता है जब कि भाव पूजा से भाव/परमार्थ होता है।इसके कारण मुनि भाव पूजा करते हैं लेकिन ग़हस्थो को भाव सहित द़व्य पूजा करने का उल्लेख किया गया है।
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यह कथन सत्य है कि द़व्य पूजा से द़व्य/संसार बढता है जब कि भाव पूजा से भाव/परमार्थ होता है।इसके कारण मुनि भाव पूजा करते हैं लेकिन ग़हस्थो को भाव सहित द़व्य पूजा करने का उल्लेख किया गया है।