धर्म तो आत्माश्रित है,
पर धार्मिक क्रियायें, पराश्रित होती हैं ।
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उपरोक्त कथन बिलकुल सत्य है – – –
धम॓ को जानने के लिए आत्म ज्ञान का होना जरूरी है। धम॓ के लिए क़ियायों की आवश्यकता है लेकिन इनको करने के बाद अधम॓ के काय॓ नहीं करें तब ही साथॅकता होगी। धम॓ में सयंम. आचार. विचार की पवित्रता होना चाहिए। धम॓ की पहिचान तभी होगी जब अधम॓ के काय॓ नहीं करना चाहिए।
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उपरोक्त कथन बिलकुल सत्य है – – –
धम॓ को जानने के लिए आत्म ज्ञान का होना जरूरी है। धम॓ के लिए क़ियायों की आवश्यकता है लेकिन इनको करने के बाद अधम॓ के काय॓ नहीं करें तब ही साथॅकता होगी। धम॓ में सयंम. आचार. विचार की पवित्रता होना चाहिए। धम॓ की पहिचान तभी होगी जब अधम॓ के काय॓ नहीं करना चाहिए।