निमित्त
जीवन-उत्थान के लिये दो निमित्त चाहिये –
1. कुलाचार चलाने के लिये –
माता/पिता: बुराइयाँ, जो गुरु से दूर करती हों, छुड़ाने के लिये। ये व्रत नहीं हैं; बल्कि सफ़ाई है, जैसे चोरी से परहेज़।
2. धर्माचार अपनाने के लिये –
गुरु: चोरी छोड़ने के बाद गुरु सिखायेंगे कि वस्तु कौन सी/कैसे/कितनी ग्रहण की जाए।
मुनि श्री सुधासागर जी
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निमित्त का तात्पर्य जो कार्य होने में सहयोगी होते हैं, जिसके बिना कार्य नहीं होने सकता है। इसमें कुछ निमित्त निष्क्रिय जैसे धर्म द़व्य एवं कुछ प्रेरक जैसे गुरु होते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि उत्थान के लिए दो निमित्त आवश्यक है।एक कुलाचार चलाने के लिए एवं धर्माचार लाने के लिए। अतः जीवन में दोनों निमित्त की आवश्यकता रहती है।