निमित्त/उपादान
उपादान अंतरंग कारण,
निमित्त उपादान को उभार देता है ।
मुनि श्री प्रमाण सागर जी
उपादान अंतरंग कारण,
निमित्त उपादान को उभार देता है ।
मुनि श्री प्रमाण सागर जी
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उपादान का मतलब किसी कार्य के होने में जो स्वमं उस कार्य रुप परिणमन करें वह उपादान है जैसे रोटी बनने के लिए गीला आटा उपादान हैं।
निमित्त का मतलब जो कार्य के होने में सहयोगी हो या जिसके बिना कार्य न हो उसे कहते हैं यानी उचित निमित्त के होने पर तदानुसार कार्य होता है।
अतः उक्त कथन सत्य है कि उपादान अंतरंग कारण होता है जबकि निमित्त उपादान को उभार देता है।