नौकरी के साथ धर्म का सामंजस कैसे बिठायें ?
नौकरी को धर्म रूपी शरीर का अंग समझ कर ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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धर्म-सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान,सम्यक चारित्र का पालन करना होता हैं। नौकरी में हिंसा,झूठ ,चोरी आदि से बचना चाहिए ताकि धर्म का पालन किया जा सकता हैं। धर्म करने में अधर्म से बचना चाहिए।
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धर्म-सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान,सम्यक चारित्र का पालन करना होता हैं। नौकरी में हिंसा,झूठ ,चोरी आदि से बचना चाहिए ताकि धर्म का पालन किया जा सकता हैं। धर्म करने में अधर्म से बचना चाहिए।