पदयात्रा

पहले समय में पदयात्रा मज़बूरी थी, आज तप/धर्म है ।
धर्म की भावना देर तक चलती है ।
अहिंसा का पालन होता है ।

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One Response

  1. उपरोक्त कथन बिलकुल सत्य है – – – –
    पदयात्रा करने पर अहिंसा का पालन होता है जो कि धम॓ गुरुओं द्वारा की जाती है। अतः जिसको धम॓ धारण करना है उसे भी पदयात्रा की तरह धीरे धीरे चलना होगा तब ही इस रास्ते पर अग्रसर हो सकते है।

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