परिग्रह में प्रत्यक्ष हिंसा हो या ना हो,
पर मूर्छा होगी ही, कर्मबंध होगा ही ।
प्रवचनसार गाथा – 234
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परिग़ह का मतलब यह मेरा है,मै इसका स्वामी हूं,इस प्रकार का ममत्व भाव होता है। यह दो प्रकार का होता है अंतरंग और ब़ाह्य । अतः उक्त कथन सत्य है कि परिग़ह में हिंसा हो या ना हो,पर मूर्छा तो होगी, जिससे कर्म बंध अवश्य ह़ोगा।
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परिग़ह का मतलब यह मेरा है,मै इसका स्वामी हूं,इस प्रकार का ममत्व भाव होता है। यह दो प्रकार का होता है अंतरंग और ब़ाह्य । अतः उक्त कथन सत्य है कि परिग़ह में हिंसा हो या ना हो,पर मूर्छा तो होगी, जिससे कर्म बंध अवश्य ह़ोगा।