द़व्य=-गुण और पर्याय के समूह को कहते हैं।
द़व्य कर्म-= जीव के शुभाशुभ भावों के निमित्त से बंधने वाले सूक्ष्म पुद्वगल स्कन्धो को द़व्य कर्म कहते हैं।
अतः यह कथन सत्य है कि एक द़व्य दूसरे द़व्य पर परिणमन नहीं कर सकता है,पर अशुद्ध जीव ज्ञेय रुप परिणमन करता है, जैसे दुश्मन देख क़ोधी हो जाता हैं।
4 Responses
What about “Shuddha Jeev”?
शुद्ध जीव ज्ञेय रुप परिणमन नहीं करते ।
द़व्य=-गुण और पर्याय के समूह को कहते हैं।
द़व्य कर्म-= जीव के शुभाशुभ भावों के निमित्त से बंधने वाले सूक्ष्म पुद्वगल स्कन्धो को द़व्य कर्म कहते हैं।
अतः यह कथन सत्य है कि एक द़व्य दूसरे द़व्य पर परिणमन नहीं कर सकता है,पर अशुद्ध जीव ज्ञेय रुप परिणमन करता है, जैसे दुश्मन देख क़ोधी हो जाता हैं।
Okay.