स्वर्ण पाषाण को ही कसौटी पर परखा जाता है, पत्थर को घिसने से तो कसौटी ही घिस जाती है/नष्ट हो जाती है ।
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दुसरो की परीक्षा किसी साधन से की जा सकती है लेकिन स्वयं की परीक्षा के लिए आत्मज्ञान का होना जरूरी है लेकिन वह भी धम॓ से जुडकर ही प्राप्त की जा सकती है।
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दुसरो की परीक्षा किसी साधन से की जा सकती है लेकिन स्वयं की परीक्षा के लिए आत्मज्ञान का होना जरूरी है लेकिन वह भी धम॓ से जुडकर ही प्राप्त की जा सकती है।