पुण्य
पुण्य की ज़रूरत तब तक, जब तक हमसे पाप हो रहा है । कीचड़ पाप है, इसे साफ करने पुण्य रूपी जल चाहिये,
बिना पानी के शरीर पर कीचड़ सूख जायेगी, चमड़ी उधड़ जायेगी ।
साधु पाप नहीं करते, इसलिये उन्हें पुण्य की आवश्यकता नहीं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
पुण्य की ज़रूरत तब तक, जब तक हमसे पाप हो रहा है । कीचड़ पाप है, इसे साफ करने पुण्य रूपी जल चाहिये,
बिना पानी के शरीर पर कीचड़ सूख जायेगी, चमड़ी उधड़ जायेगी ।
साधु पाप नहीं करते, इसलिये उन्हें पुण्य की आवश्यकता नहीं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
यह कथन बिलकुल सत्य है।
जब पुण्य योग मिलता है तब पाप के कायॅ नहीं करना चाहिए। अतः पाप के कायोॅ से बचना चाहिए जिससे पुण्य क्षीण न होने पाए। साधुऔं के लिए पुण्य की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि उनके द्वारा पाप के कायॅ नहीं होते हैं। अतः जीवन में पापों के कायॅ नहीं करना चाहिए तभी कल्याण होगा।