पूर्ण विकास
खिले फूलों को देख खुश मत हो जाना,
विकास की सार्थकता तो पराग पर से अंदर की पंखुड़ियाँ हटाना है/खुशबू बिखेरना है ,
संस्कारों की संतति बढ़ाना है।
आ.श्री के प्रवचनों पर आधारित चिंतन
खिले फूलों को देख खुश मत हो जाना,
विकास की सार्थकता तो पराग पर से अंदर की पंखुड़ियाँ हटाना है/खुशबू बिखेरना है ,
संस्कारों की संतति बढ़ाना है।
आ.श्री के प्रवचनों पर आधारित चिंतन