प्राण
प्राण, शरीर तथा शरीर से सम्बंधित वस्तुओं को चलाने में सहायक होते हैं ।
(प्राण = इन्द्रियां+मन,वचन,काय बल+उच्छवास+आयु)
1. अंतरंग – चेतन प्राण
2. बाह्य – भोजनादि (अन्नप्राण, वायु प्राण), दवा आदि सहायक ।
चारों प्राणों में आयु में एक समय का भी अंतराल नहीं होता है । ये ऐसा Tank है जो खत्म होने से पहले Refill हो जाता है ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
4 Responses
प्राण- -जिसके द्वारा प़त्येक जीव जीता है उसे कहते हैं। यह दो प्रकार के हैं, द़व्य प़ाण और भाव प़ाण।जीव के चेतना या ज्ञान दर्शन रुप भाव प़ाण है तथा पांच इन्दिय प़ाण मन वचन काय रुप तीन बल प़ाण,आयु और श्वासोच्छवास इस तरह द़व्य प़ाण है।
अतः उक्त कथन सत्य है कि चारों प्राणों में आयु में एक समय का अंतराल नहीं होता है,यह ऐसा टेंक है जो खत्म होने से पहले रीफिल हो जाता है।
1) “अंतरंग – चेतन प्राण” ka example kya hai? Kya “अंतरंग” aur “बाह्य” प्राण, das प्राण se alag hain?
2) “चारों प्राणों में आयु में एक समय का भी अंतराल नहीं होता है ।” Yahan par kis ki baat ho rahi hai?
1) सिद्ध भगवान के सिर्फ भाव-प्राण होते हैं, चेतना/ज्ञान/दर्शन
2) 10 द्रव्य-प्राण… 5इंद्रिय; 3मन,वचन,काय; श्वासोच्छवास; आयु ।
पहली आयु पूर्ण होते ही, दूसरी शुरू हो जाती है न !
Okay.