पेड़ में मनुष्य के आकार की कल्पना करके उससे उपकार की अपेक्षा, भ्रम टूटने के साथ समाप्त हो जाती है ।
ऐसे ही आत्मज्ञान हो जाने पर संसारी लोगों से उपकार की अपेक्षा भी समाप्त हो जाती है ।
समाधितंत्र गाथा – 22
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उपरोक्त कथन बिलकुल सत्य है। पेड में मनुष्य की कल्पना कर सकते हैं क्योंकि पेड सूखने के बाद वह उपकार नहीं कर सकता है। जैसे मनुष्य को आत्मज्ञान होने के बाद संसारिक लोगों की उपकार की अपेक्षा समाप्त हो जाती है।
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उपरोक्त कथन बिलकुल सत्य है। पेड में मनुष्य की कल्पना कर सकते हैं क्योंकि पेड सूखने के बाद वह उपकार नहीं कर सकता है। जैसे मनुष्य को आत्मज्ञान होने के बाद संसारिक लोगों की उपकार की अपेक्षा समाप्त हो जाती है।