मंदिर में रोना
आज संकट(कौरोना)के समय में मंदिरों के दरवाजे क्यों बंद हैं ?
क्योंकि मंदिरों में रोने वाले उन्हें अपवित्र कर रहे थे।
ऐसे ही सूतक के समय मंदिरों में जाने/वहाँ पूजादि करने का निषेध है।
सुख में तो होटलों में जाते थे !
मुनि श्री सुधासागर जी
4 Responses
उपरोक्त कथन सत्य है कि मन्दिरों में रोने वाले उसको अपवित्र करते हैं। ऐसे ही सूतक के समय में भी मन्दिरों को अपवित्र करते हैं। अतः जीवन में मन्दिरों कोई पवित्र बनाने के लिए हृदय में प़सन्नता भर कर जाना चाहिए, ताकि मन्दिरों में पवित्रता बनी रहें एवं अपना कल्याण करने में समर्थ हो सकते हैं।
What is relevance of “सुख में तो होटलों में जाते थे” in this context, please ?
मंदिर में लोग प्रायः दुःख में ही जाते हैं,
सुख में तो होटल आदि में मौज मस्ती करते हैं।
Okay.