मिथ्यात्व/अनंतानुबंधी
मिथ्यात्व के उदय आने पर भी अनंतानुबंधी एक आवली के बाद ही उदय में आती है ।
क्योंकि उदयावली की वर्गणाओं की संयोजना नहीं होती, उदयावली की वर्गणायें ज्यों की त्यों एक आवली तक उदय में आती रहती हैं ।
एक आवली तक अनंतानुबंधी, अप्रत्याख्यान आदि में जो सम्यक्त्व के प्रभाव से बदल चुकी थी, वह मिथ्यात्व के उदय होने पर भी उदयावली की वर्गणाओं को नहीं बदलतीं ।
मिथ्यात्वी के अनंतानुबंधी हर समय बंधती तथा उदय में आती रहती है ।