मूर्ति से वीतरागता मिलती है और चरण से शक्त्ति (निर्वाण/मोक्ष जाने के प्रतीक)|
मुनि श्री सुधासागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि भगवान् की मूर्ति के दर्शन करने पर वीतरागता का अनुभव होता है जबकि चरणों के दर्शन करने पर निर्वाण और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि भगवान् की मूर्ति के दर्शन करने पर वीतरागता का अनुभव होता है जबकि चरणों के दर्शन करने पर निर्वाण और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।