मोह ऐसा कर्म है कि इसके उदय में जीव हित अहित के विवेक से रहित होता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि मोह आंख की किरकिरी है,जो सही से देखने नहीं देता है। अतः मोह कर्म को बचाने पर ही कुछ कल्याण कर सकते हैं। Reply
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मोह ऐसा कर्म है कि इसके उदय में जीव हित अहित के विवेक से रहित होता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि मोह आंख की किरकिरी है,जो सही से देखने नहीं देता है।
अतः मोह कर्म को बचाने पर ही कुछ कल्याण कर सकते हैं।