संसारियों से राग हमको कमज़ोर करता है,
भगवान/ गुरु से राग हमको मज़बूत करता है ।
ब्र. रेखा दीदी
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राग का मतलब इष्ट पदार्थों के प्रीति या हर्ष रुप परिणाम होना होता है,यह दो प्रकार के होते हैं प़शत्तराग और अप़शत्तराग। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि संसारियों से राग हमको कमजोर करता है लेकिन भगवान से राग रखना हमारा संबल यानी आत्मा को पवित्र बनाता है।
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राग का मतलब इष्ट पदार्थों के प्रीति या हर्ष रुप परिणाम होना होता है,यह दो प्रकार के होते हैं प़शत्तराग और अप़शत्तराग। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि संसारियों से राग हमको कमजोर करता है लेकिन भगवान से राग रखना हमारा संबल यानी आत्मा को पवित्र बनाता है।