लेश्या और ध्यान

लेश्या (कषाय रंजित योग) अशुभ जैसे नारकियों की, पर सम्यग्दृष्टि के धर्म ध्यान शुभ ।
ऐसे ही लेश्या शुभ पर ध्यान (रौद्र/अभिप्राय) खोटा जैसे रावण ने राम को मारने के लिये पूजा/तपस्या की थी ।

मुनि श्री सुधासागर जी

Share this on...

6 Responses

  1. Magar kya dhyan shubh/ashubh hone se, kashay mand/teevra nahin hogi aur kya uska leshya par prabhav nahin padega?

    1. लेश्या पर्यायगत होती हैं ।
      ध्यान/अभिप्राय का प्रभाव तो होगा,पर within range.

  2. लेश्या – – जो आत्मा को शुभाशुभ कर्मों के लिप्त को कहते हैं,यह भी छह प़कार की होती हैं। कृष्ण,नील,कपोल यह तीन अशुभ है जबकि पील,पघ्म और शुक्ल यह शुभ होती हैं।शरीर के काले, सफेद आदि रंग को द़व्य लेश्या कहते हैं जबकि मन वचन कार्य की प़वृति को भाव लेश्या कहते हैं।
    ध्यान- – चित्त की एकाग्रता का नाम ध्यान है।यह भी आर्तध्यान,रौद़ध्यान, धर्म ध्यान और शुक्ल ध्यान है, इनमें धर्म ध्यान और शुक्ल ध्यान मोक्ष प्राप्ति में सहायक होते हैं।
    अतः उक्त कथन सत्य है कि लैश्या जो कषाय रंजित योग अशुभ जैसे नारकियों की जबकि पर सम्यकदृष्टि के धर्म ध्यान शुभ है। ऐसे ही लेश्या शुभ पर यानी रौद़ ध्यान यानी अभिप्राय खोटा जैसे रावण ने राम मारने के लिए पूजा और तपस्या की गई थी।

    1. तीसरे नरक में जो अशुभ लेश्या होती है, उसी के अंतर्गत अच्छा अभिप्राय होने पर मंदता आ जाती है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

February 19, 2020

September 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30