पहली बार मंद सहमति,
दूसरी बार नकारात्मक (हाँ, हाँ….)
तीसरी बार पक्का ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि वचन तीन बार ही कहते हैं, क्योंकि पहली बार मंद सहमति,दूसरी बार नकारात्मक यानी हां, हां होता है, जबकि तीसरी बार वह पक्का होता है। भगवान् की परिक्रमा भी तीन बार देना होती है।इसी प्रकार साधु को पड़गाहन में भी तीन परिक्रमा देते हैं।वचन तभी पूर्ण होते हैं जब मन, वचन और काय की शुद्वी होती हैं।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि वचन तीन बार ही कहते हैं, क्योंकि पहली बार मंद सहमति,दूसरी बार नकारात्मक यानी हां, हां होता है, जबकि तीसरी बार वह पक्का होता है। भगवान् की परिक्रमा भी तीन बार देना होती है।इसी प्रकार साधु को पड़गाहन में भी तीन परिक्रमा देते हैं।वचन तभी पूर्ण होते हैं जब मन, वचन और काय की शुद्वी होती हैं।