विभाव
लम्बी बीमारी/दवाईयों का लम्बा प्रयोग भी आदत बन जाती है।
ऐसे ही लम्बे समय तक विभाव में रहने से हम उसे अपना स्वभाव मानने लगते हैं।
मुनि श्री सुधासागर जी
लम्बी बीमारी/दवाईयों का लम्बा प्रयोग भी आदत बन जाती है।
ऐसे ही लम्बे समय तक विभाव में रहने से हम उसे अपना स्वभाव मानने लगते हैं।
मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
विभाव का तात्पर्य स्वभाव से विपरीत है एवं कर्म के उदय से होने वाले जीव में रागादि भावों को विभाव कहा गया है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि लम्बी बीमारी एवं दवाईयों का लम्बा प़योग भी आदत बन जाती है। ऐसे ही लम्बे समय तक विभाव में रहने से हम अपना स्वभाव मानने लगते हैं।