सम्यग्दृष्टि के शुभोपयोग या शुभोपयोग से सम्यग्दर्शन ?
आगमानुसार सम्यग्दृष्टि को ही शुभोपयोग पर सम्यग्दर्शन होगा, शुभ-क्रियाओं से ही ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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सम्यग्दर्शन का तात्पर्य सच्चे देव शास्त्र गुरु पर श्रद्वान होना, अथवा जिनेन्द्र भगवान के द्वारा कहे गए सात तत्वों के यथार्थ रुप पर श्रदान होना होता है।
शुभोपयोग का मतलब दया,दान पूजा,व़त,शील आदि शुभ राग और चित्त प़साद रुप परिणमन होना।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि सम्यग्द्वष्टि के शुभोपयोग तथा शुभक्रियाओं से ही सम्यग्दर्शन होता है। आगमनुसार सम्यग्द्वष्टि को ही शुभोपयोग होगा,जो शुभ क़ियायोंं से ही होगा।
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सम्यग्दर्शन का तात्पर्य सच्चे देव शास्त्र गुरु पर श्रद्वान होना, अथवा जिनेन्द्र भगवान के द्वारा कहे गए सात तत्वों के यथार्थ रुप पर श्रदान होना होता है।
शुभोपयोग का मतलब दया,दान पूजा,व़त,शील आदि शुभ राग और चित्त प़साद रुप परिणमन होना।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि सम्यग्द्वष्टि के शुभोपयोग तथा शुभक्रियाओं से ही सम्यग्दर्शन होता है। आगमनुसार सम्यग्द्वष्टि को ही शुभोपयोग होगा,जो शुभ क़ियायोंं से ही होगा।