संगति
लुहार सुबह अग्नि को पूजता है ।
बाद में उसी अग्नि को घन से पीटता है ।
कारण ?
सुबह अग्नि एकाकी रहती है, बाद में वह लोहे की संगति में आ जाती है, सो घनों से पिटती है ।
एकाकी आत्मा पूज्य होती है पर कर्मों की संगति में आकर संसार में दुखी/भटकती रहती है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
One Response
संगति की जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।
अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।यह भी सत्य है कि एकाकी आत्मा पूज्य होती है, लेकिन आत्मा कर्मों की संगति के कारण संसार में दुखी एवं भटकती है। अतः अपने कर्मों की संगति मिटाना होगी ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।