सच्ची आत्मीयता

सच्चे भक्त को गुरु/भगवान से कुछ नहीं चाहिये, उसे तो गुरु/भगवान चाहिये ।
सच्चे इंसान/मित्र की भी अपने प्रियजनों के प्रति ऐसी ही भावना होती है ।

मुनि श्री सुधासागर जी

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One Response

  1. गुरु और भगवान् को अंतरंग में समपर्ण करना ही सच्ची आत्मीयता कहला सकती है।अतः दोनो को पहिचान के लिए भावना होना चाहिए, वही सच्ची आत्मीयता कहलाती है।

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