अंतरंग का परिवर्तन सत्संग से ही संभव है ।
परिवर्तन से ही परिवर्धन होता है ।
संत ना बन सकें तो सज्जन तो बन सकते हैं ।
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4 Responses
जीवन में सत्संग का सदग़हस्थ बनने के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। संगति. कुसंगति. सदसंगति एवं साधु संगती के विषय में ध्यान रखना होगा। सदसंगति जिसमें जो अशुभ से बचाये 2 जो अहित से बचाये 3 जो अच्छी प़ेरणा देवे, उन्हीं के साथ मित्रता रखनी चाहिए, तभी सदग़हस्थ जीवन बना सकते हैं, यह सब लौकिक व्यवहार में आता है। साधुओं की सगंति से उनके एक वचन ही मत्रं बन जाते हैं । जीवन में परिवर्तन के लिए साधुओं की सत्संग बहुत आवश्यकता है।
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जीवन में सत्संग का सदग़हस्थ बनने के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। संगति. कुसंगति. सदसंगति एवं साधु संगती के विषय में ध्यान रखना होगा। सदसंगति जिसमें जो अशुभ से बचाये 2 जो अहित से बचाये 3 जो अच्छी प़ेरणा देवे, उन्हीं के साथ मित्रता रखनी चाहिए, तभी सदग़हस्थ जीवन बना सकते हैं, यह सब लौकिक व्यवहार में आता है। साधुओं की सगंति से उनके एक वचन ही मत्रं बन जाते हैं । जीवन में परिवर्तन के लिए साधुओं की सत्संग बहुत आवश्यकता है।
What do we mean by “parivardhan” please?
बढ़ना/उन्नति करना ।
Okay.