सुख
अति ( Excess ) के बिना इति ( Goal ) से साक्षात्कार करना संभव नहीं,
पीड़ा की अति ही, पीड़ा की इति/End है,
पीड़ा की इति ही, सुख का अर्थ है,
पीड़ा को सहना ही, वास्तविक और सात्विक सुख है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
अति ( Excess ) के बिना इति ( Goal ) से साक्षात्कार करना संभव नहीं,
पीड़ा की अति ही, पीड़ा की इति/End है,
पीड़ा की इति ही, सुख का अर्थ है,
पीड़ा को सहना ही, वास्तविक और सात्विक सुख है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी