कल्याणक मनाने के लिये सोलहवें स्वर्ग के इन्द्र अपने अपने देवों के साथ सौधर्म-इन्द्र के पास आते हैं ।
वहाँ से जलूस में मध्यलोक आते हैं ।
सौधर्म-इन्द्र के पुण्य विशेष होते हैं, इसी कारण से वह एक भवावतारी भी होता है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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सौधर्म इन्द के पुण्य विशेष होते हैं। जिसके कारण कल्याणक मनाने के लिए सोलहवें स्वर्ग के इन्द़ अपने देवों के साथ सौधर्म इन्द के पास आते हैं और वहां से जलूस के साथ मध्यलोक आते हैं। इसके साथ समवशरण में भी सौधर्म की आज्ञा से कुबेर के द्वारा तीर्थंकरों के योग्य समवशरण की रचना होती है।इसी कारण से सौधर्म इन्द एकभवतारी भी होते हैं।
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सौधर्म इन्द के पुण्य विशेष होते हैं। जिसके कारण कल्याणक मनाने के लिए सोलहवें स्वर्ग के इन्द़ अपने देवों के साथ सौधर्म इन्द के पास आते हैं और वहां से जलूस के साथ मध्यलोक आते हैं। इसके साथ समवशरण में भी सौधर्म की आज्ञा से कुबेर के द्वारा तीर्थंकरों के योग्य समवशरण की रचना होती है।इसी कारण से सौधर्म इन्द एकभवतारी भी होते हैं।