मैंने स्वप्न में “स्व” “पन” देखा ।
(हरेक “पर” वस्तु में “स्व” को देखें जैसे दर्पण में देखते हैं)
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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5 Responses
स्वप्न…एक निमित्त के माध्यम से शुभाशुभ को जान लेना होता है।स्व का मतलब अपनी आत्मा का स्वभाव जान लेना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि हरेक पर वस्तु में स्वयं को देखें जैसे दर्पण में देखना होता है।
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स्वप्न…एक निमित्त के माध्यम से शुभाशुभ को जान लेना होता है।स्व का मतलब अपनी आत्मा का स्वभाव जान लेना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि हरेक पर वस्तु में स्वयं को देखें जैसे दर्पण में देखना होता है।
Can meaning of the first line be explained, please?
अचेतन अवस्था में जब बाहर के connections टूट जाते हैं तभी self hood को देख/ समझ सकते हैं ।
“अचेतन अवस्था” me hi kyun?
क्योंकि चेतन अवस्था में “पर” के आकर्षणों में उलझे रहते हैं, “स्व” की ओर ध्यान ही नहीं जाता ।