आत्मतत्व

क्योंकि अपनी बात सबको अच्छी लगती है और आत्मा अपनी है,
इसलिये आत्मतत्व की बात भी सबको अच्छी लगती है ।
पर विषय-भोगों और विकारों के चक्कर में हम उसे झुठलाते रहते हैं ।

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