नरक में इतने ख़राब भाव व द्रव्य हिंसा भी करता है तो पापकर्म कटेंगे कैसे ?
पाप क्रियाओं की अपेक्षा दु:ख सहता ज्यादा है;
अतः बंध कम, क्षय ज्यादा होता है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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मनुष्य जीवन में ज्यादा पाप कर्मों जैसे मायाचारी आदि करने पर नरक में जाता सुनिश्चित होता है।
अतः मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि नरक में इतने भाव व द़व्य हिंसा करता है फिर भी उसके पाप कर्म कटते हैं। इसका मतलब पाप क़ियायों की अपेक्षा दुःख ज्यादा सहना पड़ता है। लेकिन बंध कम होते हैं बल्कि क्षय ज्यादा होते हैं। अतः जीवन में पाप कर्म की अपेक्षा पुण्य ज्यादा करने का प्रयास करना चाहिए ताकि नरक न जाकर अन्य योनि प्राप्त हो सकती है।
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मनुष्य जीवन में ज्यादा पाप कर्मों जैसे मायाचारी आदि करने पर नरक में जाता सुनिश्चित होता है।
अतः मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि नरक में इतने भाव व द़व्य हिंसा करता है फिर भी उसके पाप कर्म कटते हैं। इसका मतलब पाप क़ियायों की अपेक्षा दुःख ज्यादा सहना पड़ता है। लेकिन बंध कम होते हैं बल्कि क्षय ज्यादा होते हैं। अतः जीवन में पाप कर्म की अपेक्षा पुण्य ज्यादा करने का प्रयास करना चाहिए ताकि नरक न जाकर अन्य योनि प्राप्त हो सकती है।