स्व/अनंत चतुष्टय

विराम का श्री फल चढ़ाने वालों को स्व-चतुष्टय की प्राप्ति होती है,
जो अनंत-चतुष्टय की प्राप्ति में निमित्त बनता है।
अनंत-संसार के यात्री को अनंत-चतुष्टय की प्राप्ति असंभव।

चिंतन

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6 Responses

  1. विराम का तात्पर्य पंच इन्द़ियो में विरक्त होना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि विराम का श्री फल चढ़ाने वालों को स्व चटुष्य की प्राप्ति होती है। जो अनन्त चटुष्य की प्राप्ति में निमित्त बनता है। लेकिन अंनत के यात्री को अंनत चटुष्टय की प्राप्ति असम्भव होती है।

    1. श्रीफल चढ़ाना संकल्प का प्रतीक है।
      यहाँ संकल्प संसार से लेने की बात हो रही है।

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