अघातिया कर्म

अघातिया कर्मों से बाह्य सामाग्री की प्राप्ति होती है ।
कर्म जड़ हैं, बलहीन हैं तो बाह्य सामाग्री इनसे कैसे मिलती है ?
कर्मोदय तो हालात Create करते हैं, कर्ता तो आत्मा है जो सजीव और शक्तिशाली है ।
जैसे मोहनीय की धूल से आदमी पागल हो जाता है तथा सूर्योदय से चकवा चकवी मिलते हैं । यानि निमित्त, नैमित्तिक सबंध !

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