शौच धर्म
पवित्रता,
जो लोभ के अभाव में/संतोष से आती है,
और
शरीर की पवित्रता, गुणों से/तप से आती है ।
2) एक कंजूस सेठ गड्ढ़े में गिर गया । लोग उसे ऊपर खींचने के लिये, उसका हाथ माँग रहे थे पर वह हाथ नहीं दे रहा था, बस “बाहर निकालो” की रट लगाये जा रहा था ।
उसको जानने वाला एक व्यत्ति आया, उसने सेठ से हाथ माँगा तो सेठ ने तुरंत हाथ दे दिया और सेठ को बाहर खींच लिया गया ।
जिसने कभी किसी को कुछ भी न दिआ हो,
वह अपनी जान बचाने के लिये भी अपना हाथ भी नहीं दे सकता ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
One Response
Suresh chandra jain
Uttam shauch ka matlab pavitrata se hai; jab tak lobh nahi chodoge tab tak pavitrata nahi aa sakti; kahaavat bhi hai ki “lobh paap ko baap bakhaana” ; lobh ko chodne ke liye man mein santosh lana hoga, tabhi jeevan safal hoga.